बुधवार, 30 जून 2010

यह महज इत्तफाक है कि मैं सहज हूं

अगस्त, 2008 में जब मैं एकलव्य भोपाल में ही था, देवास जिले में खातेगांव जाने का मौका मिला। एकलव्य में से निकलकर बनी संस्था समावेश ने अपने शिक्षा प्रोत्साहन केंद्र चलाने वाले साथियों के बीच शिक्षा को लेकर एक संवाद का आयोजन और कुछ गतिविधियां की थीं। इनमें जिन साथियों ने भाग लिया था उन्हें खातेगांव में बुलाकर एक कार्यक्रम में सम्मानित किया जा रहा था। भोपाल से दामोदर जैन और सुश्री अरूणा बूलचंदानी भी साथ गईं थीं। एकलव्य के हरदा केन्द्र से सुश्री शोभा चौबे कार्यक्रम में भाग लेने आईं थीं। ये फोटो समावेश के धुलेश्वर भाई ने छांटकर हाल ही में भेजे हैं। इसलिए इनमें मैं ही नजर आ रहा हूं। मैंने उनसे आग्रह किया था कि कार्यक्रम के बारे बनी रपट भी भेज दें तो मैं उसमें से कुछ और बातें भी यहां लिखूंगा। पर संभवत: उन्हें समय नहीं मिला। कार्यक्रम में समावेश के साथियों के अलावा स्थानीय शिक्षा अधिकारी भी मौजूद थे।

बहरहाल अपने ये फोटो मैं आपके साथ इसलिए भी बांटना चाहता हूं, क्योंकि मेरे इतने सहज फोटो कभी आते नहीं हैं।

बीच में सुश्री शोभा,पीछे समावेश के योगेश और नीचे बैठे शाकिर भाई नजर आ रहे हैं।

10 टिप्‍पणियां:

  1. आपके इस पोस्ट से मुझे २००४-०५ के दिन याद आ गए जब मैं इसी इलाके में भू-सर्वेक्षण का कार्य कर रहा था ... काम के सिलसिले मुझे वहां के गांव गांव में घूमना पड़ा था ... खातेगांव भी गया था ... उसके अलावा जोगा, सतवास, हंडिया इत्यादि गांव में काम किया था ... सतवास और हंडिया में हमारा शिविर भी था ...
    अक्सर हरदा जाया करते थे ...

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  2. सुन्दर फ़ोटो व भावपूर्ण लेखन।

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  3. आप सहज रहें फोटो तो आते ही रहेंगे। आपकी दिल्ली यात्रा भी पढ़ी इस बार की। पुराने दोस्तो के साथ गप मारने का मजा ही अलग है। यायावर मैने भी कभी अपना तख्खलूस रखा था। पर यायावरी धरी रह गई है जीवन के उतार चढ़ाव में। आपकी तीनों साइट पढ़ रहा हूं। कुत्तो से मस्त उनकी बातचीत लगी। हाहाहाहाहा..दुबारा दिल्ली आना हो तो बताइएगा..दिल्ली नोएडा करना होता है रोटी दाल के सिलसिले में।

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  4. :-) photo aur jaankari baantne ke liye dhanyvaad
    sahaj lagna waqayi mushkil hai.. mere photo bhi sahaj nahi aate

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