मंगलवार, 5 जुलाई 2011

शादी में शादी की सालगिरह


दूल्‍हे मिंयां जितेन्‍द्र ठाकुर
इस बरस शादी की सालगिरह (23 जून,2011) पर भोपाल में था। कुछ संयोग ऐसा हुआ कि मेरे पुराने संस्‍थान एकलव्‍य के एक युवा साथी जितेन्‍द्र ठाकुर का विवाह भी इसी दिन था। जितेन्‍द्र चित्रकार हैं। उनके साथ मिलकर मैंने बच्‍चों की कई चित्रकथाओं की पुस्‍तकें तैयार की हैं। मेरी एक बालकहानी की किताब और एक बालकविता पोस्‍टर के चित्र  भी उन्‍होंने ही बनाए हैं। सो उनसे एक और स्‍तर पर आत्‍मीय रिश्‍ता है। बहुत मना करने के बाद भी वे मुझे ‘सर’ कहकर संबोध्रित करते हैं। जब भी मुलाकात होती है तो वे अपने नए काम के बारे में बताते हैं और उस पर मेरी राय जानने के लिए आतुर रहते हैं।

आमतौर पर आजकल जो शादियां होती हैं उनमें शादी हो जाने के बाद प्रीतिभोज के लिए निमंत्रित किया जाता है। जिसमें दूल्‍हा-दुल्‍हन दोनों मौजूद होते हैं। पर जितेन्‍द्र की तरफ से प्रीति भोज का निमंत्रण दोपहर का था। उनकी बारात तो शाम को भोपाल के पास सीहोर के दोराहा में जाने वाली थी। हमने फैसला किया कि अपने विवाह की छब्‍बीसवीं सालगिरह उनके विवाह में शामिल होकर मनाई जाए।

एकलव्‍य परिवार (बाएं से दाएं) सुशील जोशी,शाहिद,राजेश उत्‍साही,अम्‍बरीष सोनी,कमलेश यादव,कमलसिंह,अफसाना पठान और उनका बेटा,निर्मला वर्मा,पारुल सोनी,इंदु नायर और प्रीति शर्मा
भोपाल टॉकीज के पास अटलराम सिंधी धर्मशाला में भोज का आयोजन था। सुबह से हल्‍की हल्‍की बारिश हो रही थी,सड़क पर कीचड़ था पर मौसम सुहाना था। वहां पहुंचे तो चार ऐसी बातें हुईं जो याद रह गईं। पहली तो यह कि एकलव्‍य के लगभग सभी साथी इस आयोजन में आए थे। यह मेरे लिए एक पंथ दो काज जैसी बात थी। क्‍योंकि सभी से यहां ही मुलाकात हो गई थी। जितेन्‍द्र के परिवार की ओर से वहां उनके फूफाजी सबका स्‍वागत कर रहे थे। हम दोनों ने पैर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया।

प्रीति शर्मा और नीमा : मेरे अंगने में तुम्‍हारा क्‍या काम है.......
दूसरी बात यह कि इस मौके पर हमारी श्रीमती निर्मला यानी नीमा जी ढोलक लेकर गीत गाने बैठ गईं। छब्‍बीस सालों में पहली बार उनका यह हुनर देखने में आया था। हालांकि यह ढोलक वादन तीन-चार मिनट से अधिक नहीं चला, क्‍योंकि ढोलक की थाप पर नाचने के लिए कोई आगे नहीं आया। तीसरी सुखद बात यह थी कि भोजन व्‍यवस्‍था ठेठ भारतीय थी। हां पत्‍तल जरूर कागज की थीं। खाने में भी व्‍यंजनों की भीड़ की बजाय पूड़ी ,सब्‍जी, रायता, सेव तथा बूंदी परोसी गई थी। कम से कम अपन को तो इसमें आनंद आया। वरना समझ ही नहीं आता कि क्‍या खाएं और क्‍या नहीं। सबका स्‍वाद लेने के चक्‍कर में किसी का भी स्‍वाद नहीं ले पाते हैं। इस बहाने सुशील जोशी और हमने इस बात पर चर्चा कर डाली कि इस व्‍यवस्‍था का क्‍या फायदा है।

पंगत में बैठकर भोजन करने का  आनंद कुछ अलग ही है...
वास्‍तव में भोजन करवाने का यह तरीका जहां परिवार और परिचितों को भोजन के लिए आए लोगों के प्रति आदर और स्‍नेह जताने का मौका देता है,वहीं परिवार के युवा लोगों को बहुत सारी बातें सीखने का मौका भी। बारी-बारी से परिवार के अलग अलग लोग आकर कुछ न कुछ परोसते हुए आपसे और खाने की प्रेम भरी मनुहार करते हैं। और आप उतने ही प्रेम से उन्‍हें मना करते हैं। भला यह आजकल के बफे सिस्‍टम में कहां संभव है। मेरा मानना है कि इस तरीके में खाने की बरबादी भी तुलनात्‍मक रूप से बहुत कम होती है।  

और चौथी यह कि जब जितेन्‍द्र को शुभकामनाएं देकर सब निकलने लगे तो पता चला कि साथी मनोज निगम की नई की नई चप्‍पलें कोई साहबान पहनकर चले गए हैं। इतना ही नहीं अगले दिन पता चला कि शाहिद मियां अपना रेनकोट भी धर्मशाला के दरवाजे को पहना आए हैं। अब क्‍या कहें, शादी-ब्‍याह में तो यह सब होता ही है। कहीं दूल्‍हे के जूते चोरी होते हैं तो कहीं मेहमानों के। मजा इसी में है।
                                    0 राजेश उत्‍साही  
   

15 टिप्‍पणियां:

  1. २३ जून को अपनी भी सालगिरह थी

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  2. "shaadhi me shaadi ki saal girah" padhkar maja aa gaya, bahut khoob likha he apne :-)

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  3. सर आपको और जितेन्द्र जी को शादी के सालगिरह की शुभकामनाएं.... बाकी इस पोस्ट में जीवन के लिए बहुत कुछ छुपा है... शहर वाले कहाँ बैठ कर और आत्मीयता से भोजन करते हैं या करते हैं.. यह तो थोडा बहुत गाँव और छोटे शहरों में रह गया है... बाकी वहां भी गिने छूने दिन बाकी हैं इस प्रथा के... बढ़िया आलेख...

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  4. आपको और जितेन्द्र जी दोनों को बहुत बहुत शुभकामनाएं ... भाभी ढोल बजा रहीं थी तो आपको तो उठाना था नाचने ले लिए राजेश जी .. समा बंध जाता ..

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  5. आपको और जितेन्द्र जी को बहुत बहुत शुभकामनाएं!

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  6. Happy Anniversary... {b'lated}
    bahut acchha laga padhkar... aur aap BPL aate rahte hain na, plz next visit kab hai jaroor batatiyega...
    shaddiyon mei bahuton ki chhupi kalaaen saamne aati hain... aur pangat mei baithkar khana... waah... khane ka swaad badh jata hai...
    aur shaadi mei jab tak joote-chappal chori na hon ya kisi ka kuch gume na tab tak kisson ka maza hi poora nahi hota...
    thank you so much for sharing... :)

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  7. सुन्दर तस्वीरों के साथ एक पारिवारिक माहौल देखना बहुत सुखकारी लगा..
    इस दुहरे शादी की सालगिरह पर बहुत-बहुत हार्दिक शुभकामनायें..

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  8. RAJESH UTASAHI JI AB AAP BHOPAL AAYE TO KHABAR TO KARE TAKI HUM AAPKA DARSHAN KAR SAKE . UDAY TAMHANEY.

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  9. RAJESH UTASAHI JI AB AAP BHOPAL AAYE TO KHABAR TO KARE TAKI HUM AAPKA DARSHAN KAR SAKE .DIWALI KI SHOOBHKAMANAYE. UDAY TAMHANEY.

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  10. JAISA DEKHA WAISA LIKHA LEKIN KAISE LIKH DETE HAI .uday.

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  11. RAJESH UTASAHI JI . AB AAP BHOPAL AAYE TO ES NACHIJ KO KHABAR JAROOR KARE TAKI HUM AAPKA DARSHAN KAR SAKE. DIWALI KI SHOOBHKAMANAYE. UDAY TAMHANEY.

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  12. priya rajesh bhai
    namaste aur shukriya bhi

    aapke blog ke maarfat hum bhi jitendra ki shaadi me shaamil ho sakein. kahey ka poora anand to khakar hi liya ja sakta hi per aapki andaj-e-bayaan se humey bhi kuch swad to mil hi gaya.sabhi pehchaaney hue log bahut din baad dekh kar khushi mili. jitendra tatha unki patni ko shaadi ki dher saari shubhkaamnaayein.

    aapka
    umar

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  13. BAHOOT KHOOB. JIYO HAJARO SAAL.13NOVM 2011.UDAY.

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